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हृदय रोग
हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है।हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं।
हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन चाहिए। जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। ( इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे – हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता परन्तु यह समस्याएँ भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है)
हृदय रोग का कारण
कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों की मुख्य वजह ये है कि अथीरोमा नामक एक वसा धमनियों के भीतर जम जाती है। इस अवस्था में अथीरोमा की सतह धमनियों के भीतर की ओर जम जाती है। वक्त के साथ-साथ ये सतह बढ़ती जाती है और खून के बहाव में रूकावट आने लगती है और एंजाइना का दर्द होने लगता है या इससे धमनियों में जबर्दस्त रूकावट आ जाती है। ऐसा ज्यादातर तब होता है जब इस सतह को अनियमित और बढ़े हुए भाग के कारण खून का थक्का बन जाता है। जब ऐसा होता है तो हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में आ सकता है लेकिन अगर नुकसान ज्यादा हो तो मौत भी हो सकती है। मस्तिष्क में धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से भी रक्त का बहाव नही हो पाता जिससे स्ट्रोक यानी लकवा या मौत हो सकती है। धूम्रपान और ब्लड कोलैस्ट्रोल की बढ़ी हुई मात्रा के साथ अगर सैचुरेटिड फैट का भी काफी सेवन किया जाता है तो इन दोनों ही कारणों से इन सतहों, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
हृदय रोग
हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है।हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं।
हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन चाहिए। जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। ( इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे – हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता परन्तु यह समस्याएँ भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है)
हृदय रोग का कारण
कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों की मुख्य वजह ये है कि अथीरोमा नामक एक वसा धमनियों के भीतर जम जाती है। इस अवस्था में अथीरोमा की सतह धमनियों के भीतर की ओर जम जाती है। वक्त के साथ-साथ ये सतह बढ़ती जाती है और खून के बहाव में रूकावट आने लगती है और एंजाइना का दर्द होने लगता है या इससे धमनियों में जबर्दस्त रूकावट आ जाती है। ऐसा ज्यादातर तब होता है जब इस सतह को अनियमित और बढ़े हुए भाग के कारण खून का थक्का बन जाता है। जब ऐसा होता है तो हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में आ सकता है लेकिन अगर नुकसान ज्यादा हो तो मौत भी हो सकती है। मस्तिष्क में धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से भी रक्त का बहाव नही हो पाता जिससे स्ट्रोक यानी लकवा या मौत हो सकती है। धूम्रपान और ब्लड कोलैस्ट्रोल की बढ़ी हुई मात्रा के साथ अगर सैचुरेटिड फैट का भी काफी सेवन किया जाता है तो इन दोनों ही कारणों से इन सतहों, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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